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शील के बरवै छंद Summary in English & Hindi Free Online

शील के बरवै छंद Summary in English PDF
CG Board Class 10 Hindi शील के बरवै छंद Summary in English

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CG Board Class 10 Hindi शील के बरवै छंद Summary in English


Poem

शील के बरवै छंद

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CG Board Class 10 Hindi शील के बरवै छंद Summary in English

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CG Board Class 10 Hindi शील के बरवै छंद Summary in Hindi

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अभ्यास प्रश्न-

पाठ से-

Page No. – 112

प्रश्न 1. ‘सुसकत आवत होही भइया मोर” पंक्ति के अनुसार दुल्हन की मनोदशा का उल्लेख कीजिए ?

उत्तर ऊपर दी गई पंक्तियों के माध्यम से कवि एक नव विवाहित स्त्री की मनोदशा को दर्शाने का प्रयत्न करते हैं कि स्त्री के मायके में उसका भाई उसके याद में रो रहा होगा और सभी लोग उससे बिछड़ने के दुख में दुखी होंगे। 

Page No. – 112

प्रश्न 2. मायका और ससुराल के बीच की स्थिति को कवि ने ‘पातर प्रान’ क्यों कहा है ?

उत्तर मायके और ससुराल के बीच की स्‍थिल को पातर प्रान कहने का तात्पर्य यह है कि इसके बीच का संबंध बहुत ही नाजुक और संवेदनशील होता है और स्त्री को दोनों पक्ष को ध्यान में रखते हुए बहुत ही संतुलित व्यवहार करना पड़ता है ।

Page No. – 112 

प्रश्न 3. बहन को लिवाने पहुँचा भाई अनमना सा क्यों हैं ?

उत्तर जब भाई बहन की विदाई के लिए उसके ससुराल जाता है तब बहन को अपने भाई के स्वभाव में परिवर्तन दिखाई देता है। जिस बहन के साथ वह बचपन खेला, कूदा, खाया -पिया उसके तथा उसकी बहन में कोई अंतर नहीं था। वही भाई आज बहुत ही औपचारिक तथा अजनबीयो सा व्यवहार कर रहा था भाई अपने बहन के विवाह को सरलता से नहीं देख पा रहा था। 

Page No. – 112

प्रश्न 4. नायिका के मन का, धारा के विपरीत जाने का संदर्भ दीजिए।

उत्तर इसमें नायिका का अपने ससुराल के प्रति कर्तव्य बोध और प्यार झलक रहा है कुछ दिन पूर्व जो परिवार अर्थात ससुराल उसके उसके लिए उसके लिए अनजान तथा पराया था आज उसी ससुराल और वहां के लोगों की उसे चिंता हो रही थी जब वह अपने मायके में रहती है। नायिका का मन विचलित रहता है ससुराल की चिंता के कारण इसी कारण कवि ने मन को धारा के विपरीत जाने की संज्ञा दिया है। 

Page No. – 112

प्रश्न 5. नायिका अपने पति के कष्ट की कल्पना करके दुःखी हो जाती है पाठ में आए हुए उदाहरणों का उल्लेख करते हुए समझाइए ।

उत्तर नायिका जब ससुराल से अपने मायके जाती है तथा उसका मन अपने ससुराल में के बारे में सोचता है, जिससे उसे अपने ससुराल के प्रति कर्तव्य का बोध और चिंता होती है। वह सोचती है कि जब उसका पति दिनभर थक हार के शाम को घर आएगा तो उसकी सेवा कौन करेगा? उसकी बूढ़ी सास सब इंतजाम कैसे कर पाएगी उसके पति को घर में उदासी का माहौल मिलेगा जिससे वह निराश हो जाएगा। नायिका इसी सब बात की चिंता करके दुखी हो जाती है ।

पाठ से आगे-

Page No. – 112

प्रश्न 1. विवाह पश्चात् लड़कियों का ससुराल जाना वैवाहिक रीति का अंग है। इस रीति पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर- भारतीय संस्कृति दुनिया की प्राचीनतम संस्कृति है। भारतीय संस्कृति में समाज के संचालन हेतु बहुत से नियम, परम्परा संस्कार हैं। उन्ही मे से एक और सबसे महत्वपूर्ण संस्कार विवाह का है। जिसके वर और कन्या का विवाह होता है और विवाह के उपरान्त कन्या अपने ससुराल विदा हो जाती है। इसे हम कन्यादान भी कह सकते है। कन्यादान हिन्दू संस्कारों में सबसे श्रेष्ठ और महान दान कहा जाता है। इस रीति से समाज में सन्तुलन और भाईचारा बना रहता है। कन्या जब अपने घर (पिहर) से विदा होकर अपने ससुराल जाती है तब ही विवाह सम्पन्न माना जाता है।

Page No. – 112

प्रश्न 2. आपकी शाला में विदाई कार्यक्रम आयोजित किये जाते होंगे। इस विदाई एवं घर में या पड़ोस में बहन की विदाई का तुलनात्मक वर्णन कीजिए।

उत्तर- शाला में विदाई और बेटी की विदाई में जमीन-आसमान का अन्तर होता है। एक तरफ जहाँ बेटी की विदाई धार्मिक और सामाजिक अनिवार्यता है। वही शाला का विदाई कार्यक्रम एक औपरिकता मात्र ही होता है।

Page No. – 112 

प्रश्न 3. “ राऊत, हाट, बाजार, मेले, गाँव से गहरे जुड़े होते हैं ” इस कथन पर 

अभिमत दीजिए।

उत्तर- गाँवों और कस्बों में रोजाना या साप्ताहिक हाट या बाजार लगते हैं। इन

हाट, बाजारों का वहाँ के जन जीवन से बहुत ही गहरा लगाव होता है। ग्रामीण या उस

क्षेत्र के लोग अपने दैनिक तथा कृषि आदि संबंधित समानो को खरीदते है। इस तरह 

के हाट बाजारों में दुकान – दारो को भी पता होता है कि किस समय और कब 

यहाँ के ग्रामीण क्षेत्र की क्या आवश्यकता है। और वे उसी प्रकार के वस्तुओं का 

विक्रय करते है। इस तरह से ग्रामीण क्षेत्रो में हाट, बाजार वहाँ के ग्रामीणों से गहरा 

लगाव होता है I

Page No. – 112

प्रश्न 4. विवाह पूर्व लड़की की मायके के प्रति कैसी जिम्मेदारी होती है और विवाह पश्चात्

ससुराल में उसके क्या – क्या दायित्व होते हैं ? अपनी माँ , भाभी अथवा विवाहित बहनों

से उनके अनुभव सुनिए एवं उनका लेखन कीजिए ।

उत्तर – भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही नारी को नारायणी का स्थान दिया गया है। उसका मुख्य कारण परिवार में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। एक लड़की जब अपने पिता के घर में जन्म लेती है तभी से उस पर पिता की मान मर्यादा का दायित्व होता है। उसे अपने अन्दर पारिवारिक गुणों, प्रेम, विनम्रता आदि गुण विकसित करने चाहिए। एक स्त्री के अनेक गुणों में से संवेदनशीलता का गुण प्रमुख होता है इसी गुण से वह दोनों कुल अर्थात मायके और ससुराल में समन्वय स्थापित कर सकती है। ससुराल में स्त्री भी अपने पति ससुर, सास, देवर देवरानियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए | इनकी इच्छा का सम्मान करते हुए अपना एक विशेष स्थान बनाना चाहिए | आज के आधुनिक शिक्षा से एक स्त्री दोनो कुलो ससुराल और मायका का उचित ख्याल रखते हुए अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व को निभा सकती है |

Page No. – 112

प्रश्न 5. कविता में कई स्थलों पर सामाजिक मान्यताओं का उल्लेख किया गया है 

जैसे – गोड़ फड़कना , बहन / बेटी के घर का अन्न – जल ग्रहण न करना , कौंआ का 

कौंरा बॉटना आदि अपने साथियों के साथ चर्चा कर इनके विषय में अपने विचार लिखिए । 

उत्तर- कविता में प्रयुक्त सामाजिक मान्यताएँ पाॅव पकड़ना, बेटी के घर अन्न-जल

ग्रहण करना, कौआ का कौरा बाँटना, आज कम होती जा रही है। जैसे – जैसे समय और 

समाज में परिवर्तन हो रहा है लोग आधुनिका की ओर अग्रसर होते जा रहे हैं। इन 

प्रथाओं से लोगों को लगता है कि ये सब अनपढ़ लोगों के क्रियाकलाप है जबकि यही 

हमारी संस्कृति और सभ्यता का चित्रण है जिससे दुनिया में हमारी एक अलग पहचान 

थी। परिस्थितियां बदल रही है आज एक लड़की अपने घर-परिवार का भरण पोषण कर 

रही है । बेटी का अन्न जल न ग्रहण करना तो रूढ़िवादिता को दर्शाता है। बेटियाँ परिवार 

के लिए सम्मान सूचक बनती जा रही है। अब तो शहर में कौवा भी नहीं दिखता फिर उस 

कौए का कौरा बांटने का प्रश्न ही नहीं उठता। पाँव पकड़ने का स्थान स्वास्थ्य 

और आधुनिकताओ ने ले लिया है । 

Page No. – 113

प्रश्न 6. हम सभी के पास किसी न किसी प्रकार की जिम्मेदारियाँ होती हैं । जब हम

अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन अच्छे से करते हैं तो हमें आत्मसंतोष का अनुभव 

होता है । आपकी व आपके परिजनों की क्या – क्या जिम्मेदारियाँ है ? इसे ध्यान में रखते

हुए निम्न तालिकाओं को पूरा कीजिए । आप इस संदर्भ में साथियों से चर्चा कर सकते हैं ।

अभिभावकों की     
पारिवारिक  सामाजिक  वैयक्तिक
 
अपनी    
पारिवारिक  सामाजिक  वैयक्तिक 

उत्‍तर – जिम्मेदारी का स्वरूप –

अभिभावकों की     
पारिवारिक  सामाजिक वैयक्तिक 
(1) धन कमाना, परिवार का भरण पोषण करना ।(2) स्वास्थ्य की देखभाल, बच्चों की शिक्षा दीक्षा ।  (1) रिश्तों – नातों को निभाना , तथा सामाजिक कार्यों में शामिल होना । (2) स्वास्थ्य के प्रति समाज में जागरूकता फैलाना ।  (1) व्यक्तिगत विकास का प्रयास करना । 

(2) व्यक्तिगत स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना । 
अपनी    
पारिवारिक  सामाजिक  वैयक्तिक 
(1) बड़ो का आदर करना, आज्ञा मानना, बुढ़े -बुजुर्गों की सेवा करना । (2) बच्चों में भी बड़ो के प्रति सम्मान को निर्मित करना ।  (1) समाज में अपने चरित्र व स्वभाव के प्रति सचेतरहना ।
(2) समाज के प्रति अपने आप को ढालना । 
(1) आजीविका के साधन जुटाना । 


(2) व्यक्तिगत शिक्षा – दीक्षा व बच्चों की शिक्षा के प्रति जागरूकता । 

भाषा के बारे में-

Page No. – 113

प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्द समूह के स्थान पर छत्तीसगढ़ी का एक शब्द लिखिए-

शब्द समूह  
एक शब्द
(i) जो नाँगर (हल) चलाता है
नँगरिहा
(ii) कुएँ या तालाब से घड़े में पानी भरकर लाने वाली स्त्री

पनिहारिन
(iii) काम करने वाला
कुमईया
(iv) आम का बगीचा आमा बागइचा।

Page No. – 113

प्रश्न 2. काव्य में जहाँ वर्णों की आवृत्ति होती है , वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है । I  उदाहरण ” तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए ।

 ” यहाँ ‘ त ‘ वर्ण की आवृत्ति हुई है , इसलिए यहाँ अनुप्रास अलंकार हैं । 

इसी प्रकार पाठ में आए हुए अनुप्रास अलंकार के अन्य उदाहरणों को पहचान कर 

लिखिए ।

उत्तर – अनुप्रास अलंकारकाव्य में जहां वर्णों की आवृत्ति होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।

उदाहरण – (1) मइया आइस कुलकत, राँधे खीर 

 हाथ विधाता कइसन धरिहौं धीर 

जहाँ इ, ध, र और क वर्ण की आवृत्ति हो रही है।

(2) मुँह के कौंरा काबर उगला जाय 

 रहि – रहि गोड़ फड़कते थे, काबर हाय ।

यहाँ – क, र की आवृत्ति एक से अधिक है। 

(3) तन एती मन ओती, अब्बड़ दूर 

 रहि – रहि नदिया बाढ़ै पूर 

यहाँ न, र, तथा त वर्णो की आवृत्ति है।

Page No. – 114

प्रश्न 3 . जहाँ उपमेय ( जिसकी तुलना करते हैं । ) में उपमान (जिससे तुलना की जाती 

है ) का आरोप किया जाता है , वहाँ रूपक अलंकार होता है । उदाहरण – मैया मैं तो चंद्र – खिलौना लैहौं । 

यहाँ खिलौने ( उपमेय ) को चाँद ( उपमान ) ही मान लिया गया है ।

पाठ में आए हुए रूपक अलंकार के अन्य उदाहरणों को पहचान कर लिखिए ।

उत्‍तर – रूपक अलंकारजहाँ प्रस्तुत में अप्रस्तुत का अभेद रूप से आरोप किया जाये वहाँ रूपक अलंकार होता है ।

उदाहरण (1) मन – मछरी ला कइसे, परिगे बान, 

 सब दिन मोर रहिस अब होगे आन ।

 (2) मोर नगरिहा पावत होही धाम । 

 बैरी बादर तैं कस, होगे बाम । 

 (3) तन एती मन ओती, अब्बड़ दूर,

 रहि – रहि नैना नदिया, बाढ़ै पूर । 

Page No. – 114

प्रश्न 4 . बरवै छंद- यह अर्ध सम मात्रिक छंद है , जिसके विषम चरणों ( पहले व तीसरे चरण ) में 12-12 एवं सम चरणों ( दूसरा व चौथा चरण ) में 7-7 मात्राओं की यति से 19 मात्राएँ होती हैं । अंतिम में गुरु – लघु मात्राएँ होती है । 

उदाहरण 

 भाषा सहज सरस पद , नाजुक छंद , ( 12 , 07 = 19 )

 जइसे गुर के पागे , सक्कर कंद । ( 12. 07 = 19 )

इस प्रकार पाठ से अन्य पदों की मात्राओं की गणना कीजिए ।

उत्‍तर – तुलसी चौरा म देव सालिगराम। 

मइके ससुर पूरन करिहौ काम। 

Page No. – 114

प्रश्न 5. इसके बारे में भी जानिए शब्द गुण- ” गुण साहित्य शास्त्र में काव्य शोभा के जनक हैं । ” इसके तीन प्रकार हैं- 

( क ) माधुर्य गुण- चित्त को प्रसन्न करने वाला गुण माधुर्य होता है । शृंगार रस का वर्णन इससे भावपूर्ण होता है ।

(ख) प्रसाद गुण- चित्त को प्रभावित करने वाला गुण प्रसाद होता है । शांत रस एवं करुण रस का वर्णन इससे भावपूर्ण होता है । 

( ग ) ओज गुण- चित्त को उत्तेजित करने वाला गुण ओज गुण होता है । वीर रस का वर्णन इससे भावपूर्ण होता है ।

प्रस्तुत पाठ में किस शब्द गुण की बहुलता है ? नाम लिखकर उदाहरण दीजिए ।

उत्‍तर – इस पाठ में प्रसाद गुण की बहुलता है। 

योग्यता विस्तार –

Page No. – 114

प्रश्न 1. छत्तीसगढ़ी के विवाह गीतों का संकलन कीजिए एवं कक्षा में उसका सस्वर गायन कीजिए I 

उत्तर- छत्तीसगढ़ी के विवाह में बहुत सी रस्में निभाई जाती है I और सभी रस्मों के अलग – अलग गीत होते है I

टिकावन गीत – टिक देखे ददा हाथी अउ घोड़ा

टिक देबे लागत गाय ददा

टिक देबे लागत गाय

टिक देबे दाई अचहर पचहर 

टिक देबे नौ लक्खा हार दाई 

टिक देबे नौ लक्खा हार I …………..

चुलमाटी – तोला माटी कोड़े ला, तोला माटी कोड़े ल 

तोला माटी कोड़े ला, नई आवत भित धीरे-धीरे 

धीरे-धीरे अपन बहिनी ल तीर धीरे-धीरे

धीरे-धीरे अपन बहिनी ल तीर धीरे-धीरे

तेलचघी- पहार ऊपर पहार ऊपर मोर धानर बाजे

पौर देबे तेलिया मोर कांचा तिली के तेल 

कोन तोर लाने नोनी अटना के हरदी 

पटना के हरदी बने ………….. 

बरात निकासी- गाँवे अवधपुर ले चले बरतिया की 

गांवे जनकपुरी जाये वो दाई 

गांवे जनकपुरी जाये …………

कौन चढ़त हे गाड़ी अउ झुलवा 

कौने चढ़त सुख पलना वो दाई ………. 

मायमौरी – हाथे जोरि, न्यौतेंव मोर देवी देवाला 

हो देवी देवाला, घर के पुरखामन 

हो ओ सटाप ……….

विनती करेंव मेय माथ नवायेंव

हो माथ नवायेंव, कर लेहो एला स्वीकार…….

परघनी- 

हाथ धरे लोटिया खांधे में धरे पोटिया

सगरी नहाये चले जाबो

पनिया हिलोरे गोरी नहावय 

परगे महादेव के छोही 

सात समुन्दर ल तैं धापे महादेव ……….

भांवर – कामा उलोथे कारी बद‌रिया

कामा ले बरसे बूंद

सरग उलोथे कारी बद‌रिया 

धरती माँ बरसे बूँद ………

नहडोरी – नहडोरी के एक गीत दे तो दाई अस्सी रुपइया ये गीत ल

अलग-अलग जगा म अलग-अलग गावत सुने 

ला मिल जाथे I

ये गीत है दाई अउ बेटा के बातचीत के रूप

म हे जेमां बेटा ह दाई कर बिहाव बर

रूपया मांगथे ……….. 

दे तो दाई दाई अस्सी ओ रूपइया 

सुन्दरी ला लातेंव मय बिहाये ओ दाई ……..

मऊर संउपे के गीत – 

पहिरव दाई – पहिरव दाई हो 

सोन रंग कपड़ा हो सोन रंग कपड़ा सौंपव दाई मोर माथे के मऊर ………….

भड़ौनी व गारी गीत – 

बने बने तोला जानेव समधी, 

 मड़वा में डारेंव बांस रे

 झालापा‌ला लुगरा लाने, जरय तुंहर ना करे

 दार करे चॉऊर केर, लगिन ला धराये रे

बेटा के बिहाव करें, बाजा लहुराये रे …………..

बिदाई – मैं परदेसिन आवं

पर मुलुक के रददा भुलागेंव

अउ परदेसिया के साथ

दाई कइथे आबे दिन चार

भईया कड्‌थे तीजा पोरा

भउजी कइथे कोन काम

मैं परदेसिन आंव ………….

Page No. – 114

प्रश्न 2. अपने क्षेत्र में प्रचलित विवाह की रस्म पर एक छोटा लेख लिखिए I

उत्तर –छत्तीसगढ़ में एक विवाह का संस्कार –

छत्तीसगढ़ में जन्म के बाद विवाह का बहुत प्रमुख संस्कार है और इस संस्कार में सबसे पहले चुलमाटी, गाँव के तालाब से स्त्रियाँ मिट्टी लाती है। और घर में चुल्हा बनाती है। जिसमें शादी में खाना बनाया जाता है लोगों के लिये । इसके बाद तेल चढ़ी का संस्कार होता है। इसके बाद एक रिवाज है भाप मौड़ी इसमें सुआसिनी रोटी बनाती है जिसे दुल्हा-दुल्हन के हाथ में रखकर धागे से बाँध दिया जाता है। इसके बाद नहधोली का कार्य होता है। इसके बाद एक रिवाज है परधनी । और फिर उसके बाद भाँवरे पड़ती हैं। फिर उसके बाद विदाई की रस्म होती है उसी के उपरान्त विवाह संपन्न होता है। विवाह की रस्मों के दौरान ही सभी के अवसरों के अलग-अलग गीत गाये जाते हैं।


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