CG Board Class 10 Hindi एक था पेड़ और एक था ढूँठ Summary in English |
CG Board Class 10 Hindi एक था पेड़ और एक था ढूँठ Summary in English: In this article, we will provide all students with a summary of एक था पेड़ और एक था ढूँठ in English. Also, in this article, we will also provide एक था पेड़ और एक था ढूँठ Summary in English for ease of students. Our only goal is to help students prepare for the upcoming exams. We have extracted a summary of all chapters of and have uploaded them in English and English for easy understanding and quick learning. If you have questions regarding the एक था पेड़ और एक था ढूँठ Summary in English please let us know in the comments.
CG Board Class 10 Hindi एक था पेड़ और एक था ढूँठ Summary in English
Poem |
एक था पेड़ और एक था ढूँठ |
Medium |
English |
Material |
Summary |
Format |
Text |
Provider |
How to find Class 10 Hindi एक था पेड़ और एक था ढूँठ Summary in English?
- Visit our website Sheni Blog.
- Look for summary of all subjects in English
- Now search for Chapters Summary in English.
- Click on एक था पेड़ और एक था ढूँठ Summary in English Post.
CG Board Class 10 Hindi एक था पेड़ और एक था ढूँठ Summary in English
Here we have uploaded the CG Board Class 10 Hindi एक था पेड़ और एक था ढूँठ Summary in English for students. This will help students to learn quickly in English and English language.
CG Board Class 10 Hindi एक था पेड़ और एक था ढूँठ Summary in Hindi
Students can check below the CG Board Class 10 Hindi एक था पेड़ और एक था ढूँठ Summary in Hindi. Students can bookmark this page for future preparation of exams.
अभ्यास प्रश्न-
पाठ से-
Page No. – 123
प्रश्न 1. बाँझ के हरे-भरे पेड़ और ठूंठ के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
उत्तर- लेखक हरे भरे पेड़ और ठूंठ के माध्यम से जीवन की अनमोल सीख देना चाहते है। जीवन में किस प्रकार हम लचीलेपन और दृढ़ता मे सामजस बना कर चले। व्यक्ति के विचार लचीले हो, परिस्थितियों के साथ समन्वय साधने वाले होने चाहिए परन्तु हमारे आर्दश स्थिर और दृढ़ होने चाहिए। यदि हम जीवन में सन्तुलन और समन्वय बना कर चले तो जीवन की गाड़ी आसनी से अपने लक्ष्य तक पहुंच जाती है।
Page No. – 123
प्रश्न 2. हमारे विचार लचीले और समन्वयवादी क्यों होने चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- हमें अपने जीवन के विस्तृत व्यवहार हिलते झुकते रहे, समन्वय वादी रहे। हिलना और झुकना अर्थात परिस्थितियों से समझौता। जिस जीवन में समझौता नहीं, समन्वय नहीं, सामंजस्य नहीं वहां जीवन संभव नहीं हो सकता है, इसीलिए मनुष्य को जीवन जड़ता केवल सत्य और अपने आदर्श के संदर्भ में रखना चाहिए। जीवन प्रवाह है और जो हवा के साथ नहीं झुकेगा वह टूट जाएगा।
Page No. – 123
प्रश्न 3. बाँझ के हरे-भरे पेड़ और ठूँठ किस मानवीय भाव को प्रकट करते हैं? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- बाँस के हरे भरे पेड़ और ठूँठ मानव के मनोभाव को प्रकट करते हैं। हमारा व्यवहार विचार लचीले होने चाहिए। व्यक्ति को हालात से समझौता कर के चलना चाहिए परंतु हमारे आदर्श स्थिर और दृढ़ होने चाहिए क्योंकि यही हमारे जीवन की नींव होती है। आदर्श यदि दृढ़ और मजबूत रहे तो व्यक्ति जीवन के सभी लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकता है।
Page No. – 123
प्रश्न 4. दृढ़ता और जड़ता में फर्क को पाठ में किस प्रकार से बताया गया है? उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर- दृढ़ता ही जीवन का आधार है क्योंकि हमारे आदर्श दृढ़ होने चाहिए हमारे व्यवहार में लचीलापन, झुकना, समन्वयवादी दृष्टिकोण होना चाहिए हमें जीवन के व्यवहार में विस्तृत व्यवहार में हिलते झुकते रहना चाहिए परंतु सत्य के सिद्धांत के प्रश्न पर हमें स्थिर और दृढ़ रहना चाहिए जैसे – महात्मा गांधी जी अपने आदर्शों की दृढ़ता से ही भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराया । भगवान श्री राम सर्व शक्तिशाली होते हुए भी 3 दिनों तक रास्ता देने के लिए समुद्र से विनती करते रहे यही उनके व्यक्तित्व का लचीलापन था।
Page No. – 123
प्रश्न 5. “एक था पेड़ और एक था ठूंठ” पाठ के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- एक था पेड़ एक था ठूँठ में मनुष्य के स्वभाव की तुलना बाँस के हरे भरे पेड़ और ठूँठ से की है । ठूँठ को निर्जीव जड़ता और विनाश का प्रतीक बताते हुए लेखक कहते है कि जीवन में जो व्यक्ति बिना सोचे समझे परम्परागत आदर्शो और सिद्धांतो पर अड़े रहते है । वास्तव में उनका जीवन निरर्थक होता है । बांस का हरा भरा पेड़ जो हवा थामे रहती है । मनुष्य का विचार भी बाँस के हरे पेड़ की तरह होना चाहिए, लचीले जीवन्तता हो, विषम परिस्थितियों में भी जड़ो के समान डटे रहने की शक्ति होनी चाहिए । इस तरह पाठ का शीर्षक अपनी सार्थकता सफल करता है ।
पाठ से आगे-
Page No. – 123
प्रश्न 1. पाठ में जिस प्रकार के मानव स्वभाव का वर्णन किया गया है उसी प्रकार के लोग समाज में भी दिखाई पड़ते हैं। उनका प्रभाव लोगों पर कैसे पड़ता है ? इस पर आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर- पाठ में लेखक ने दो पेड़ों के बीच के बात की है एक बांस का हरा भरा पेड़ जो की जड़ों से दृढ़ता से जुड़ा रहकर ऊपर लचकदार बना हुआ है और दूसरा सूखा पेड़ का ठूंठ जो जड़ और निर्जीव है । इसी तरह हमारे समाज में भी दो प्रकार के मनुष्य होते हैं एक वे होते हैं जो अपने आदर्शों से जड़ के समान मजबूती से जुड़े रहते हुए अपने विचार और व्यवहार में तने की तरह लचक और सामजस्य बनाकर समय के साथ कदम से कदम मिलाते हुए प्रगति के मार्ग की ओर बढ़ जाते हैं। वही जो दूसरे प्रकार के लोग पेड़ के सूखे ठूंठ की भांति उचित और अनुचित समय, असमय का विचार किए बिना ही अड़ जाते है और टूट तो जाते है पर हिलते या झुकते नहीं। हमें जीवन में जीवंत दृढ़ता रखनी चाहिए न कि निर्जीव जड़ता। मनुष्य का आचरण दृढ़ होना चाहिए ना की जड़। व्यक्ति को अपने सिद्धांतों के साथ दृढ़ता से डटकर, विचारों और व्यवहारों में सामंजस्य और लचीलापन अपनाकर जीवन पथ पर प्रगति की ओर अग्रसर होना चाहिए।
Page No. – 124
प्रश्न 2. आज की परिस्थितियों में एक आदर्श व्यक्ति के जीवन की विशेषतायें क्या-क्या हो सकती हैं ? इस पर समाज के विभिन्न आयु वर्ग के लोगों से वार्ता कर इस विषय पर एक आलेख तैयार कीजिए।
उत्तर- एक आदर्श व्यक्ति का जीवन हरे पेड़ की भांति होना चाहिए। जैसे पेड़ अपनी जड़ से मजबूती से जुड़ा रहता है और हवा के झोंकों से उसकी टहनियाँ हिलती – डुलती और लचकती रहती है। उसी प्रकार एक मानव का आदर्श जीवन वह होता है कि व्यक्ति को अपने सिद्धांत और चरित्र पर अडिग और अटल रहना चाहिए । किसी भी परिस्थिति, जैसे लालच और भय में अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ पेड़ के तने के समान व्यक्ति को समाज में समन्वय परोपकार और विचारों में लचीलापन रखना चाहिए, क्योंकि जब आप अपने समाज के लोगों के साथ सामंजस्य बनाकर नहीं चलेंगे तो व्यक्ति अपने जीवन यात्रा में एकांकी हो जाएगा और समाज के साथ कदम से कदम मिलाकर नहीं चल पायेगा इसीलिए लेखक के अनुसार आदर्श व्यक्ति का व्यवहार इस तरह का हो कि वह अपने सिद्धांतों पर दृढ़ हो और परिस्थितियों के साथ तालमेल बैठाकर प्रगति के मार्ग पर प्रसस्त रहें।
Page No. – 124
प्रश्न 3. अपने शिक्षक की सहायता से हिटलर , स्टालिन , रावण, हिरण्यकश्यप डिक्टेटर आदि पर चर्चा के लिए प्रश्नों की सूची बनाइए ।
उत्तर- हिटलर, स्टालिन, रावण, हिरण्यकश्यप इन पर निम्न बिंदुओं पर चर्चा की जा सकती है । (1) इनका जन्म कब और कहाँ हुआ ।(2) ये सब किन परिस्थितियों में इस प्रकार का आचरण किया । (3) इन तानाशाहो के आचरण पर समाज पर क्या – क्या प्रभाव हुआ । (4) इस प्रकार की तानाशाही प्रवृति का अन्त किस प्रकार और कैसे होता है ?
Page No. – 124
प्रश्न 4. तानाशाही क्या है ? तानाशाह की जीवन शैली कैसी होती है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- जब कोई व्यक्ति अपने हानि – लाभ जीवन – मरण की चिंता करें बिना ही अर्थात परिस्थितियों के आकलन के बगैर ही केवल अपने विचार को ही प्रधानता देता है तो इस प्रकृति को तानाशाह प्रवृति कहते हैं।
तनशाहो की जीवन शैली निरंकुश और एकांकी की होती है। ऐसे व्यक्तियों के जीवन में समझौता और लोकमत का कोई महत्व नहीं होता है तानाशाही केवल अपने विचार और कर्म को ही श्रेष्ठ और उचित मानता है । ऐसे ही कुछ उदाहरण हमारे सामने हैं जैसे रावण, कंस, हिटलर, स्टालिन आदि ।
भाषा के बारे में-
Page No. – 124
प्रश्न 1. – सामने ही सड़क दिख रही थी । सामने सड़क ही दिख रही थी । सामने सड़क दिख ही रही थी । ‘ ही ‘ यहाँ एक ऐसा शब्द है जो इन तीनों वाक्यों में प्रयुक्त होकर अर्थ को विशेष बल देता है , जिसे ‘ निपात ‘ कहते हैं । पाठ में न, नहीं, तो, तक, सिर्फ, केवल आदि निपातों का प्रयोग हुआ है । उन्हें पाठ में खोज कर अर्थ परिवर्तन की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए उनके स्वतंत्र प्रयोग का अभ्यास कीजिए ।
उत्तर – 1 निपात – ऐसे शब्द जो किसी भी वाक्य में प्रयुक्त होकर अर्थ को विशेष बल प्रदान करते हैं उसे निपात कहते हैं।
जैसे (i) सामने ही सड़क दिख रही है
(ii) सामने सड़क ही दिख रही है
Page No. – 124
प्रश्न 2. पाठ में किन्तु , नित्य , हे , अरे , पर , धीरे – धीरे , काफी , ऊपर , सामने आदि शब्द आए हैं । जिन शब्दों के रूप में कभी कोई परिवर्तन नहीं होता है वे अविकारी शब्द कहलाते हैं । इनमें क्रिया – विशेषण , संबंधबोधक , समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक आदि हैं । ऐसे शब्दों को चुनकर वाक्य में उनका प्रयोग कीजिए ।
उत्तर –अविकारी शब्द – जिन शब्दों के रूप में कभी कोई परिवर्तन नहीं होता है उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं। जैसे – किंतु, नित्य, हे, अरे, पर, धीरे -धीरे, काकी, ऊपर, सामने आदि।
Page No. – 124
प्रश्न 3. दे , ले , कह , सुन , मान , मना , हिलना , डुलना आदि क्रिया पद पाठ में आए हैं , इन पदों का वाक्यों में स्वतंत्र प्रयोग कीजिए ।
उत्तर – वाक्य प्रयोग
दे – राम ने पुस्तक दे कर कहा कि जाओ इसे पढ़ो।
ले – बाजार से सामान ले कर आओ।
सुन- वह सुन नहीं सकता है
मान – व्यक्ति को अपने मान की चिंता करनी चाहिए।
हिलना – डुलना – पेड़ तेज हवा के झाेको से हिलना-डुलना शुरू कर दिये ।
योग्यता विस्तार –
Page No. – 124
प्रश्न 1. एक पेड़ की जड़ के समान अपने आदर्शों और सिद्धांतों पर दृढ़ रहने वाले और हवा में झूमते पेड़ की तरह समन्वयवादी रहने वाले बहुत से लोग आपके समाज में रहते हैं। उनसे, उनके जीवन अनुभव पर बातचीत कर कहानी की तरह लिखने का प्रयास कीजिए। उत्तर- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। और समाज की इकाई परिवार होती है। इस कारण प्रत्येक मनुष्य से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपने आदर्शों, मूल्यों और संस्कार के प्रति बांस के हरे पेड़ की जड़ की भांति दृढ़ और अडिग रहना चाहिए। इसके साथ-साथ हमें सामाजिक और पारिवारिक सहयोग और संतुलन का समन्वय स्थापित करने के लिए लचीले रूप को अपनाना चाहिए क्योंकि यदि आप अपने व्यवहार में अड़ियल रहेंगे तो लोगों को आप के साथ, सामंजस्य बैठाने में कठिनाई होगी।
हमारे नगर क्षेत्र में एक गांधीवादी समाज सेवक श्री धरम लाल जी रहते थे। वे गांधी जी के सिद्धांतों के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने अपने जीवन पर्यन्त सत्य, अहिंसा धर्म का दृढ़ता से पालन किया। श्री धरम लाल जी जीवन में इतने सरल और सहयोगी विचार के व्यक्ति थे कि वह प्रत्येक व्यक्ति के दुख सुख में बढ़ चढ़ कर सहयोग करते थे। उन्होंने कई भ्रष्ट लोगों के खिलाफ आंदोलन किया और जब उन लोगों को अपनी गलती का आभास हुआ तो उन्हें सही मार्ग दिखाया और उस पर चलने में सहायता भी किया । मनुष्य का आचरण इसी प्रकार का होना चाहिए पेड़ की जड़ की तरह अपने आदर्शों और मूल्यों पर दृढ़ तथा तने और पुनगियों की तरह लचकदार जो सब के साथ समन्वय स्थापित कर सकें I
यदि व्यक्ति आज के प्रगतिवादी युग में अड़ियल व्यवहार करेगा तो वह अकेला पड़ जायेगा। बात यह है कि हमारा जीवन भी हरे वृक्ष की तरह होना चाहिए जिसका कुछ भाग हिलने डुलने वाला और कुछ भाग दृढ़ या स्थिर होना चाहिए I इसी में मानव जीवन की पूर्ण कृतार्थता है I
Page No. – 124
प्रश्न 2. इस निबंध के लेखक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हैं, स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान ये जेल गए और विभिन्न प्रकार की यातनाएँ भी सहीं। आपके परिवेश में भी ऐसे लोग रहते होंगे। अपने आस-पास के वृद्ध – जन और शिक्षकों से संपर्क कर इनके बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए और राष्ट्र के प्रति उनके कार्य – व्यवहार पर कक्षा में विचार गोष्ठी का आयोजन कीजिए।
उत्तर- स्वतंत्रता आंदोलन भारतीय इतिहास का वह युग है, जो पीड़ा, कडवाहट, दंभ, आत्मसम्मान, गर्व, गौरव तथा सबसे अधिक शहीदों के लहू को समेटे हुए है I स्वतंत्रता के इस महायज्ञ में समाज के प्रत्येक वर्ग ने अपने – अपने तरीके से बलिदान दिया है। इस स्वतंत्रता के युग में साहित्यकार और लेखकों ने भी अपना भरपूर योगदान दिया है। अंग्रेजों को भगाने में कलमकारो ने अपनी भूमिका बखूबी निभाई। कलाकारों से लेकर आम आदमी तक लेखकों ने अपनी लेखनी से आजादी की ज्वाला को प्रज्वलित किया।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने वाले प्रमुख लेखकों में माखनलाल चतुर्वेदी, राहुल सांकृत्यायन, बालकृष्ण शर्मा, नवीन, सुभद्रा कुमारी चौहान, पाण्डेय बेचन शर्मा “उग्र”, यशपाल, फणीश्वर रेणु आदि प्रमुख रहे हैं।
आज हम महिला कलाकार और लेखक सुभद्रा कुमारी चौहान के बारे में जानने का प्रयत्न करते है Iसुभद्रा कुमारी चौहान जो कि एक प्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थी जिनकी सबसे प्रसिद्ध कविता झांसी की रानी थी। इनका जन्म 16 अगस्त 1904 में इलाहाबाद में हुआ था। यह बाल्यकाल से ही कविता रचने लगी थी और इनकी रचनायें राष्ट्रीय भावनाओं से परिपूर्ण होती थी। सुभद्रा कुमारी चौहान सदैव समाज की सजग प्रहरी के रूप में अपनी लेखनी से सम्पूर्ण जन मानस में चेतना का संचार करती रहती थी। उन्होंने 1921 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन में बहुत ही सक्रियता से भाग लिया और वे दो बार जेल भी जा चुकी थी। उनकी चर्चित रचना में झांसी की रानी, मुकुल, बिखरे मोती है।उनकी कालजयी कविता झांसी की रानी का कुछ अंश प्रस्तुत है I
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में आई फिर से नई जवानी थी,गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी बुंदेले हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी थीI खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।
FAQs About CG Board Class 10 Hindi एक था पेड़ और एक था ढूँठ Summary in English
How to get एक था पेड़ और एक था ढूँठ in English Summary??
Where can I get the summary of all Chapters?
Importance of CG Board Class 10 Hindi एक था पेड़ और एक था ढूँठ Summary in English
- It helps students learn to determine essential ideas and consolidate important details that support them.
- It enables students to focus on keywords and phrases of an assigned text that are worth noting and remembering.
- It teaches students how to take a large selection of text and reduce it to the main points for more concise understanding.
CG Board Class 10 Hindi Chapters and Poems Summary
- चंद्रगहना से लौटती बेर Summary in English & Hindi Free Online
- नर्मदा का उद्गम: अमरकंटक Summary in English & Hindi Free Online
- बादल को घिरते देखा है Summary in English & Hindi Free Online
- मैं मजदूर हूँ Summary in English & Hindi Free Online
- जनतंत्र का जन्म Summary in English & Hindi Free Online
- अपनी अपनी बीमारी Summary in English & Hindi Free Online
- माटीवाली Summary in English & Hindi Free Online
- कन्यादान Summary in English & Hindi Free Online
- घीसा Summary in English & Hindi Free Online
- पुरस्कार Summary in English & Hindi Free Online
- अमर शहीद वीरनारायण सिंह Summary in English & Hindi Free Online
- गृह प्रवेश Summary in English & Hindi Free Online
- छत्तीसगढ़ की लोककलाएँ Summary in English & Hindi Free Online
- ये जिनगी फेर चमक जाए Summary in English & Hindi Free Online
- मरिया Summary in English & Hindi Free Online
- शील के बरवै छंद Summary in English & Hindi Free Online
- जीवन का झरना Summary in English & Hindi Free Online
- एक था पेड़ और एक था ढूँठ Summary in English & Hindi Free Online
- साध Summary in English & Hindi Free Online
- मध्ययुगीन काव्य Summary in English & Hindi Free Online
- मैं लेखक कैसे बना Summary in English & Hindi Free Online
- जेबकतरा Summary in English & Hindi Free Online
- गोधूलि Summary in English & Hindi Free Online
0 Comments:
Post a Comment