Sheni Blog(www.shenischool.in) provides Kerala State Board Syllabus Text Books Solutions for Class 12th, 11th, 10th, 9th, 8th, 7th, 6th, 5th, 4th, 3rd, 2nd, 1st Standard for Free. You can download, read online SRI SHARADAMBA HSS SHENI State Board Text Book Solutions.

मैं लेखक कैसे बना Summary in English & Hindi Free Online

मैं लेखक कैसे बना Summary in English PDF
CG Board Class 10 Hindi मैं लेखक कैसे बना Summary in English

CG Board Class 10 Hindi मैं लेखक कैसे बना Summary in English: In this article, we will provide all students with a summary of मैं लेखक कैसे बना in English. Also, in this article, we will also provide मैं लेखक कैसे बना Summary in English for ease of students. Our only goal is to help students prepare for the upcoming exams. We have extracted a summary of all chapters of and have uploaded them in English and English for easy understanding and quick learning. If you have questions regarding the मैं लेखक कैसे बना Summary in English please let us know in the comments.


CG Board Class 10 Hindi मैं लेखक कैसे बना Summary in English


Poem

मैं लेखक कैसे बना

Medium

English

Material

Summary

Format

Text

Provider

sheni blog


How to find Class 10 Hindi मैं लेखक कैसे बना Summary in English?

  1. Visit our website Sheni Blog.
  2. Look for summary of all subjects in English
  3. Now search for Chapters Summary in English.
  4. Click on मैं लेखक कैसे बना Summary in English Post.

CG Board Class 10 Hindi मैं लेखक कैसे बना Summary in English

Here we have uploaded the CG Board Class 10 Hindi मैं लेखक कैसे बना Summary in English for students. This will help students to learn quickly in English and English language.



CG Board Class 10 Hindi मैं लेखक कैसे बना Summary in Hindi

Students can check below the CG Board Class 10 Hindi मैं लेखक कैसे बना Summary in Hindi. Students can bookmark this page for future preparation of exams.


अभ्यास-प्रश्न-

पाठ से-

Page No. – 141

प्रश्न 1. लेखक बनने के लिये शरत बाबू के क्या-क्या सुझाव थे ? 

उत्तर- लेख बनने के लिए शरत बाबू ने अनेक सुझाव दिये थे जो इस प्रकार है:- 

1. लेख लिखने के लिए स्वयं के अनुभव का प्रयोग करना। 

2. किसी के साथ अपने लेख को साझा न करना। 

3. लिखित साहित्य को अपने पास ही रखना। 

4. लेख लिखने के बाद अपने लेख को किसी को दिखा कर सलाह न लेना। 

5. अपने लेख को दो-तीन महीने के लिए रख देना और ठंडे मन से स्वयं ही सुधार करना। 

6. अपने लेख के माध्‍यम से किसी वर्ग विशेष की बुराई न करना। 

7. लेख लिखने के लिए कभी किसी से उधार न लेना आदि। बहुत से सुझाव लेखक बनने के लिए शरत बाबू ने दिये थे। 

Page No. – 141

प्रश्न 2. अमृतलाल नागर ने अपने आत्मकथ्य में अपने युग के आंदोलनों का वर्णन किया है, उन आंदोलनों का लेखक पर क्या असर हुआ?

उत्तर- अमृतलाल नागर ने अपने आत्‍मकथ्‍य में उस युग के आंदोलनों का जो वर्णन किया है उसका उन पर गहरा प्रभाव पड़ा है। उसके आंदोलनों में भारत के असहयोग आंदोलन, साइमन कमीशन का विरोध आदि का विरोध, किया गया है। उन आंदोलनों से ही लेखक उत्तेजना बद्ध कविता लिखने को प्रेरित हुए। देश भक्‍ति की भावना उनके भीतर प्रबल होती गयी। उन्‍होंने बहुत से आंदोलनों में भाग लिया जिसका सबसे ज्‍यादा प्रभाव उनके अंतर्मन पर पड़ा। उस युग के रचनाकारों की संगति में भी उनके विचारों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी जिसके कारण वे लेखन की ओर उन्मुक्त हुए। यहीं से उनके मन में लेखन कला के प्रति उत्‍साह बढ़ता गया। पहले कहानी फिर गद्य लिखते-लिखते वे लेेखक बन गये। 

Page No. – 141

प्रश्न 3. इस पाठ में लेखक ने अपने लेखक बनने के पीछे बहुत सारे कारणों को स्वीकार किया है ? उन कारणों को लिखिए ?

उत्तर- लेखक बनने के लिए जिन कारणों को नागर जी ने स्वीकार किया है वे इस प्रकार है:- (1) आंदोलनों का प्रभाव (2) लेखकों के सम्पर्क में आना (3) साहित्यकारों के अनुभव सुनना। (4) अपनी रचनायें भेजना। (5) रचनाओं को छपवाने का प्रयास करना। (6) रचनाओं को पढ़ कर आनंदित हो उठना आदि बहुत सी विचारधारा है जिससे वे प्रभावित हुए। जलियावाला बाग कांड ने उनके मन में गहरी छाप छोड़ी । सन् 1928 में साइमन कमीशन के विरोध में हुए आंदोलन में भी नागर जी की सहभागिता रही। उस जुलूस में उत्तेजना के कारण उनकी पहली तुक बंदी हुयी और दैविक आनंद पत्र में छपी। किन्‍तु प्रारंभिक तुक बंदियों के बाद नागर जी का रूझान गद्य की ओर हो गया। पंडित श्‍याम बिहारी मिश्र के विचारों ने उन पर गहरी छाप छोड़ी। उन्‍होंने बताया कि साहित्‍य को टके को कमाने का साधन कभी नहीं बनना चाहिए। उनके इस बात से नागर जी अत्‍यंत प्रभावित हुए। सन् 1930 तक उन्‍होंने निश्चित कर लिया था, “कि वे लेखक ही मात्र बनेंगे।” 

Page No. – 141

प्रश्न 4. ” साहित्य को टके कमाने का साधन कभी नहीं बनाना चाहिये” ये कहने के पीछे क्या विचार हैं ? लिखिए।

उत्तर- ”साहित्य को टके कमाने का साधन कभी नहीं बनाना चाहिए” इस तथ्‍य के पीछे एक उत्‍कृष्‍ठ विचार है कि धन की लालसा में साहित्‍य के स्‍तर को नहीं बदलना चाहिए। यद्यपि धन कम प्राप्‍त हो किन्‍तु अपने सहित्‍य के स्‍वरूप में परिवर्तन नहीं करना चाहिए, क्‍योकि साहित्‍य स्‍वत: सुखाय नहीं होता उसके आदर्श समाज के हित व कल्‍याण में निहित होते है। कभी-कभी लोग धन की लालसा में निम्‍न स्‍तर का साहित्‍य लिख कर पैसा कमाते है जिसके कारण धन मिल भी जाये तो स्‍तरहीनता का कलंक बना रहता है। इसलिए साहित्‍य को धन कमाने का साधन कदापि नहीं बनाना चाहिए। अन्यथा हम सत्‍य से विमुख हो जायेंगे। अत: साहित्‍य के क्षेत्र में उक्त सिद्धांत और उसकी उत्‍कृष्‍ठता में मील का पत्‍थर साबित होता है। 

Page No. – 141

प्रश्न 5. अंग्रेजों के दावत पर आने के पहले बाबा ने कौन-सी तस्वीर हटा दी? उन्होंने उस तसवीर को क्यों हटवाया होगा ? अपने विचार लिखिए।

उत्तर- अंग्रेजो के दावत पर आने के पहले बाबा ने जलियावाला बाग कांड की एक तिरंगी तस्वीर को हटवा दिया था, क्‍योंकि उस तस्‍वीर में अंग्रेजो की क्रुरता की निशानी थी अत: वह तस्‍वीर उनके सामने पड़ते ही उन्‍हें यह आशक्‍त हो जाता की हम देश भक्‍त है अर्थात बाबा के देश भक्‍त होने की खबर अंग्रेजो को लग जाती । जालिया वाला बाग में जो हत्‍या कांड हुआ उसका प्रमुख दोषी जनरल डायर था। यदि अंग्रेज इस तस्‍वीर को देख लेते तो उनको बाबा की योजना का पता चल जाता। बाबा ब्रिटिश सरकार के विरोधी है यह भी पता चल जाता । इसलिए बाबा ने वह तस्वीर हटवा दी। क्‍योंकि उस समय के लोग खुल कर अंग्रेजों का विरोध करने से डरते थे। 

पाठ से आगे-

Page No. – 142

प्रश्न 1. आप के मन में भी कुछ बनने के विचार आते होंगे। आप अलग-अलग समय पर क्या-क्या बनना चाहते रहे हैं ? लिखिए। आप यह भी बताइए कि आप क्या बनना चाहते हैं और क्यों ?

उत्तर– हर किसी का एक सपना होता है कि वह अपने जीवन में कुछ बने, और उसे पाने के लिए वह कड़ी मेहनत करते हैं। सपने देखना बहुत अच्छा होता है क्योंकि यह हमें सही रास्ता चुनने और सफल बनने में हमारी मदद करता है। यह हमारे समय को बर्बाद नहीं होने देता है। और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद करता है। सभी के कुछ सपने होते है और वह कुछ बनना चाहते है, बस यह अंतर होता है कि हम अपने सपनों का कितना पीछा करते हैं या अपने सपनों की राह पर आगे बढ़ते है I मैं छोटी थी तो मैं नृत्य के विभिन्न डांस शो को टीवी. पर देखती थी और हमेशा उनकी तरह नृत्य करने की इच्छा रखती थी और फिर मैंने एक दिन कोरियोग्राफर बनने का फैसला लिया। मेरे माता- पिता हमेशा कहते है कि कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं होता है, यह तो हमारे सोच पर निर्भर है । अगर आप खुद को एक अच्छा इंसान बनाने का फैसला करते है तो मदर टेरेसा जैसे बन सकते है I यह सब हमें हमारी मेहनत और लगन पर निर्भर करता है I हमें जीवन में सब कुछ सीखना चाहिए, जिससे कि हम अपने पेशे के प्रति समर्पित रहे और यही सफलता की कुंजी है।

Page No. – 142

प्रश्न 2. लेखक ने बताया है कि उनके आस-पास कई ऐसे लोग थे जिनसे वे प्रभावित हुए। आप जीवन में भी कई लोग होंगे जिनसे आप प्रभावित होंगे। उनमें से किसी एक के बारे में संक्षेप में लिखिये।

उत्तर- प्रत्‍येक व्‍यक्ति के जीवन में सबसे बड़ा प्रभाव उसके माता-पिता तथा उसके गुरू का होता है। हमारे जीवन काल में भी उन्‍हीं तीन लाेगों ने अभूतपूर्व भूमिका निभायी है।

1. पिता – मेरे पिता ने लौह स्‍तम्‍भ की भॉति समस्‍त परिवार जन को हमेशा एक सूत्र में बांध कर रखा I ऐसे ही प्रेरणादायक इंसान हर व्‍यक्ति के जीवन में हो ऐसी मेरी कामना है। मेरे पिता एक आदर्श पिता रहे हैं उनमें वे सारी- योग्यताएँ मौजूद है जो उन्‍हें श्रेष्‍ठता के शिखर पर ले गयी I वे मेरे लिए केवल एक पिता ही नहीं बल्कि एक अभिन्‍न मित्र और एक सच्‍चे पथ प्रदर्शक की भूमिका निभाते रहे है। पिता से अच्‍छा मार्ग – दर्शक कोई नहीं होता क्‍योंकि वह विपरीत परिस्थितियों में भी हमें घुटने टेकने की सीख कभी नहीं देते। जीवन भर परिस्थितियों के अनुसार ढलने के लिए प्रेरित करते है उनके पास सदैव हमें देने के लिए ज्ञान का अमुल्य भंडार होता है जो कभी समाप्त ही नहीं होता। धीरज, संयम, अनुशासन, गंभीरता, प्रेम, उदार हृदय आदि सभी गुण हमें पिता से ही प्राप्‍त हुए है। 

2. माता – मेरी माता एक आदर्श गृहणी रही है जो कभी भी घर के आर्थिक कलह का कारण नहीं रहीं। धार्मिक, संस्कारी एवं सहनशीलता की अनूठी मिसाल है। उन्‍होंने हमे हमेशा सद् मार्ग पर ही चलना सिखाया है। माँ ने समय के महत्‍व को हमारे जीवन में इस प्रकार ढाला है कि हम सभी नियमित एवं संयमित रह कर अपने कार्य क्षेत्र में असीमित बुंलदियों को प्राप्‍त कर सकें। उनके प्‍यार एवं ममतामयी स्‍पर्श को प्राप्‍त कर इंसान ही नहीं अपितु जानवर भी अपना सारा दु:ख दर्द भूल जाते हैं। 

3. गुरुजी- समय के पाबंद, अनुशासन प्रिय और शिक्षा के लिये सदैव समर्पित व्यक्तित्व था हमारे गुरू का I स्वयं कई लोगों को सहायता करके उनको आगे बढ़ाना निर्धन अशिक्षित लोगों को शिक्षित करना ही उनके जीवन का उद्देश्य था। हमारे गुरू ने हमें पैसा नहीं अपितु पौरूष कमाने की शिक्षा दी जिसके कारण आज हम सभी अपने-अपने कार्य क्षेत्र में प्रवीण है। 

Page No. – 142

प्रश्‍न 3. किसी घटना का वर्णन कीजिए जिसका आप पर बहुत प्रभाव पड़ा हो । 

उत्तर- इस संसार में अनेक ऐसी घटनाएं घट जाती है जिन्हें हम नहीं जानते, जैसे भयानक बाढ़ या भूकंप आना, हैजा, कोरोना, चेचक आदि का फैलना या किसी अग्निकांड का होना आदि I जो मनुष्यों पर विपत्ति का पहाड़ गिरा देता है, यहाँ एक भयानक अग्निकांड का वर्णन मैं करने जा रहा हूँ जिसने मेंरा जीवन ही बदल दिया I अर्थात् जो कि मेरे लिए एक अविस्मरणीय घटना है I

 जून का महीना था भीषण गर्मी से बचने के लिए हमारे गाँव के अधिकतर लोग दोपहरी में पेड़ो की छाँव में विश्राम कर रहे थे। हमारे गांव में लगभग सभी के घर छप्पर के बने हुए हैं। गाँव के बीच में रामदीन किमान का घर था। दोपहर में अचानक ही उसके छप्पर में आग लग गई। बात ही बात में आग की लपटों ने भयंकर रूप धारण कर लिया। आग की लपटों को देखकर चारों ओर हाहाकार मच गया। सभी अपनी-अपनी तरह से आग बुझाने का प्रयास करने लगे। परन्तु आग तो भयंकर रूप धारण कर चुकी थी और लाख प्रयास के बाद भी लपटें बढ़ती जा रहीं थी । रामदीन काका का पूरा परिवार अपने आपको संभाल ही नहीं पा रहा था। लगभग एक घंटे के बाद आग पर काबू पाया गया। परन्तु आग ने पूरा घर और उसमें रखा सामान अपनी आगोश में ले लिया था। उनकी दो साल की बच्ची आग में झुलस कर राख के समान हो चुकी थी। पूरा परिवार करुण विलाप कर रहा था। पूरा गांव पलक झपकते ही बिल्कुल शांत और शोकाकुल हो गया | सभी गाँव वालों ने मिलकर उस परिवार को सहारा दिया। सब कुछ अब फिर से पनप चुका है परन्तु उस भयंकर अग्निकांड का दृश्य, परिजनों का अपनी बेटी के लिए क्रन्दन आज भी मुझे झकझोर देता है।

Page No. – 142

प्रश्‍न 4. पाठ के दूसरे अनुच्छेद में लेखक ने श्री श्यामसुंदर दास का एक चित्र अपने शब्दों से खींचा है । आप भी वैसे ही किसी व्यक्ति के बारे में लिखिए। 

उत्तर – हिन्दी के सुविख्यात लेखक भारतेंदु हरिश्चंद्र जी का पढ़ा उनके व्यक्तित्व का ऐसा प्रभाव पड़ा कि साहित्य की ओर झुक गया I उनकी रचनाएँ पढ़कर लिखने की अनुभूति ने जीवन रूप बदल दिया I भारतेन्दु हरिश्चन्द्र आधुनिक हिन्दी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं I वे हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे I उन्होंने रीतिकाल की विकृत सामंती संस्कृति की पोषक वृत्तियाँ को छोड़कर स्वस्थ्य परम्परा की भूमि अपनाई और नवीनता के बीज बोये I हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारंभ भारतेन्दु हरिश्चंद से ही माना जाता है I भारतीय नवजागरण के अग्रदूत के रूप में प्रसिद्ध भारतेन्दु जी ने देश की गरीबी, पराधीनता, शासकों के अमानवीय शोषण का चित्रण ही अपने साहित्य का लक्ष्य बनाया I हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में उन्होंने अपनी प्रतिभा का उपयोग किया I उन्होंने मात्रा और गुणवत्ता की दृष्टि से इतना लिखा और इतनी दिशाओं में काम किया कि उनका समूचा रचनाकर्म पथ- प्रदर्शक बन गया I

भाषा के बारे में-

Page No. – 142

प्रश्न 1. पाठ में कई स्थानों पर अलग – अलग तरह के वाक्य प्रयुक्त हुए हैं । कुछ स्थानों पर क्रिया करने वाला यानी कर्ता महत्त्वपूर्ण है तो कहीं पर कर्म को ज्यादा महत्त्व दिया गया है।

 जिस वाक्य में वाच्य बिन्दु ‘कर्ता’ है उसे कर्तृ वाच्य कहते हैं । जैसे ”राम रोटी खाता है” तथा जिस वाक्य में वाच्य बिन्दु कर्त्ता न होकर कर्म हो वह कर्म वाच्य कहलाता है । जैसे- ‘रोटी ,राम के द्वारा खाई गई ।’आप पाठ में से खोजकर ऐसे वाक्यों को नीचे दी हुई तालिका के रूप में लिखिए

उत्‍तर – 

कर्मवाच्य (काम को महत्‍व) कर्तृवाच्य (कर्ता का महत्व)
1. इससे मेरा शब्‍द भंडार बढ़ा ।2. माधुरी पत्रिका ने मुझे प्रोत्साहन दिया I 3. अनुवाद करते हुए मुझे हिन्दी शब्दों की खोज करनी पड़ी I 4. सिखने की तड़प से मैंने अपने देश की चार भाषाएँ सीखी I मैं लेखक बन गया । मैं लेखक बन गया I
इससे मेरा शब्द भंडार बढ़ गया I
इस कारण मुझे चार भाषाओं का ज्ञान प्राप्त हुआ I 

Page No. – 142

प्रश्न 2. अपने शिक्षक की सहायता से भाववाच्य की परिभाषा और उदाहरणों का संकलन कीजिए। 

उत्‍तर – भाव वाच्य – परिभाषा- जिस वाक्य में अकर्मक क्रिया का भाव मुख्य हो, उसे भाववाच्य कहते हैं I उदाहरण- (1) हमसे वहाँ नहीं ठहरा जाता I (2) उससे आगे क्यों नहीं पढ़ा जाता I (3) मुझसे शोर में नहीं सोया जाता I

योग्यता विस्तार –

Page No. – 142

प्रश्न 1. साइमन कमीशन के बारे में पता कीजिए I वह क्या था, और लोग उसका विरोध क्यों कर रहे थे ? लिखिए I

उत्तर-साइमन कमीशन – संवैधानिक सुधारों की समीक्षा एवं रिपोर्ट तैयार करने के लिए सात सदस्यीय साइमन कमीशन लाहौर पहुँचा । पूरे भारत में साइमन गो बैंक के रंगभेदी नारे गूंज रहे थे। इस कमीशन के सारे सदस्य गोरे थे, एक भी भारतीय नहीं था। लाहौर में साइमन कमीशन के विरोध में प्रदर्शन का नेतृत्व शेर-ए पंजाब लाला लाजपत राय ने किया I 1927 में वायसराय लार्ड इरविन ने महात्मा गांधी को दिल्ली बुलाकर यह सूचना दी कि भारत में वैधानिक सुधार लाने के लिए एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है जिसके लिए एक कमीशन बनाया गया है जिसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन होंगे | इसकी विशेषता थी कि इस कमीशन में सिर्फ अंग्रेज ही थे। गांधी जी ने इसे भारतीय नेताओं का अपमान माना । उनका यह अनुभव था कि इस तरह के कमीशन स्वतंत्रता की मांग को टालने के लिए बनाये जा रहे है I चारों तरफ से साइमन कमीशन का विरोध होते देख कर भी सरकार अड़ी रही और 3 फरवरी 1928 को साइमन कमीशन बंबई के बंदरगाह पर उतर गया।उस दिन देश भर में हड़ताल होने लगी और “साइमन गो बैंक” के नोट हर जगह लगाये जाने लगे।

Page No. – 142

प्रश्न 2. अपने स्कूल के सामाजिक विज्ञान के शिक्षक से मिल कर राष्ट्रीय आंदोलन के बारे में बात कीजिए और इसमें भाग लेने वाले नेताओं के बारे में लिखिए I 

उत्तर- राष्ट्रीय आन्दोलन के नाम भाग लेने वाले नेता 

(1) 1857 का विद्रोह – बहादुर शाह, रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहब, बेगम हजरत महल, कुंवर सिंह, मौलवी अहमदुल्ला II

(2) असहयोग आन्दोलन – पण्डित रविशंकर शुक्ल, पण्डित सुन्दरलाल शर्मा, सी. एम. ठक्कर, नारायण राव मेघवाले, महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस, आदि I

(3) सविनय अवज्ञा आंदोलन – महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, खान अब्दुलगफ्फार खां, सरोजिनी नायडू, पं. मदन मोहन मालवीय आदि I 

(4) दांडी मार्च – महात्मा गांधी, पं. जवाहरलाल नेहरु, प्यारेलाल नैय्यर, छगनलाल नत्थू भाई, 

 गणपतराव गोडसे, महावीर गिरी अब्बास वर्तनी आदि I 

(5) अंग्रेजो भारत छोड़ो – महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरु, सुभाष चन्द्र बोस, जयप्रकाश नारायण, आदि I

Page No. – 142

प्रश्न 3. पाठ में कई बड़े लेखकों के नाम आए हैं I उनकी एक सूचि बनाइए और पुस्तकालय से उनकी रचनाओं के नाम खोज कर लिखिए I  

उत्तर – लेखकों के नाम रचनाएँ 

(1) आचार्य श्याम सुन्दरदास – चन्द्रावली, पृथ्वीराज रासो रामचरित  मानस, नासिकेतोपाख्यान

(2) पं. जवाहरलाल नेहरू – डिस्कवरी ऑफ इण्डिया, ग्लिम्पसेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री एवं मेरी कहानी I

(3) पं. गोविन्द वल्लभ पंत – वरमाला, राजमुकुट अंगूर की बेटी 

(4) शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय – सती, बालकों का चोर मंदिर, बड़ी दीदी, देहाती समाज,ब्राह्मण की बेटी I

(5) पं. बृज नारायण चकबस्त – रामायण का एक सीन, ख़ाके – हिन्द ( भारत की रज), दर्द-ए-दिल पास-ए-वफ़ा जज़्बा-ए-ईमाँ होना I

(6) श्याम बिहारी मिश्र – पत्रकारिता : हिंदी पत्रकारिता : जातीय चेतना और खड़ी बोली साहित्य की निर्माण-भूमि, गणेश शंकर विद्यार्थी, पत्रकारिता : इतिहास और प्रश्न, बेहया का जंगल, मकान उठ रहे हैं, आँगन की तलाश, अराजक उल्लास,गौरैया ससुराल गया।


FAQs About CG Board Class 10 Hindi मैं लेखक कैसे बना Summary in English


How to get मैं लेखक कैसे बना in English Summary??

Students can get the मैं लेखक कैसे बना Summary in English from our page.

Where can I get the summary of all Chapters?

Sheniblog.com have uploaded the summary of all Chapters. Students can use these links to check the summary of the desired chapter.

Importance of CG Board Class 10 Hindi मैं लेखक कैसे बना Summary in English

  • It helps students learn to determine essential ideas and consolidate important details that support them.
  • It enables students to focus on keywords and phrases of an assigned text that are worth noting and remembering.
  • It teaches students how to take a large selection of text and reduce it to the main points for more concise understanding.

CG Board Class 10 Hindi Chapters and Poems Summary

Share:

0 Comments:

Post a Comment

Copyright © Sheni Blog About | Contact | Privacy Policy | Merit List